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रविवार, 8 सितंबर 2024

मिर्च की फसल पर लगने वाले रोगों एवं कीटों से बचाव

 मिर्च की फसल पर लगने वाले रोगों एवं कीटों से बचाव

कूकडा या पर्ण कुंचन रोग- 


मिर्च की फसल पर वायरस एवं थ्रीप्स की रोकथाम पत्तियों मैं पर्ण कुंचन या कूकड़ा रोग जिससे पति ऊपर और नीचे की साइड मुड़ ने लग जाती हैं। जिससे फसल की उपज कुआलिटी और आमदनी काफि प्रभावित होती है यदि हम सही समय पर और सही अच्छी ऑर्गेनिक दवाईयो का छिड़काव करेंगे तो इस तरीके की समस्या से बचा जा सकता है। 

मिर्च में बैक्टीरिया वायरस मैं सकईंग पेस्ट या रस चूसने वाले कीट जैसी बीमारियों को यदि समय से नियत्रित करते हैं और सही दवा का उपयोग करते हैं तो इससे बचा जा सकता हैं। 

आप मिर्च की फसल पर देख रहे हैं दोस्तों यह है मिर्च में मकड़ी का प्रकोप



 और यह जो दूसरा है थ्रीप्स का प्रकोप 




इस प्रकार मिर्च की फसल पर 🦠वायरस का प्रकोप देखने को मिलता हैं


इसलिए इसकी पहचान करना आना चाहिए मिर्च मैं पौधरोपण के पश्चात विशेष सावधानी की जरूरत होतीं हैं यदि रोग आने से पहले सही दवा का उपयोग करते हैँ । तो इस वायरस जनित बीमारी से बचा जा सकता है। 

हम आपके लिए ऑर्गेनिक दवाईयो का कॉम्बिनेशन लेकर आये हैं जिसमें माईटीसाइड या मकड़ी और 🦠वायरस -जी का पैक है। 

अब इस कॉम्बिनेशन का प्रयोग किस प्रकार से करें इसके बारे मैं जानेंगे -

 माईटीसाइड इसमें एजाडरेक्टीन या नीम एक्सट्रैक्ट 500 PPM और धातुरा एक्सट्रैक्ट की मात्रा होती है( कतरा बोटेनिकल माईटीसाइड) 


यह वनस्पतिक फॉर्मूलेशन पर आधारित हैं यह दवाई मिर्च एवं अन्य सब्जियों को भी 🦠वायरस से बचाती हैं । 

हम बात कर रहे हैं माईटीसाइड के बारे में जो थ्रीप्स पर, सफेद मक्खी पर, जैसे मकड़ी इत्यादि पर अच्छे से काम करती है आप जानते हैँ कि मिर्च की फसल पर 🦠वायरस को फैलाने का काम रस चूसने वाले कीट ही करते हैं तो इसके द्वारा इनको आसानी से नियत्रित किया जा सकता है । 

अब बात करते हैं (माईटीसाइड) दवाई डोज के बारे मैं तो 250 ml( 200 लीटर )पानी में मिला कर प्रति एकड़ स्प्रे करें। 


🦠वायरस इत्यादि बीमारियों से बचाता है ,(वायरस -जी) दवाई का उपयोग पहले से करने पर इन बीमारियों का सामना नहीं करना पड़ता हैं इसके लिए इसके लिए आपको इसका डोज 100 ml (200 लीटर )पानी में प्रति एकड़ स्प्रे करें । 



अब हम आपको बताते हैँ की डोज किस प्रकार तैयार करना है तो दोस्तों तैयार करने के लिए सबसे पहले 150 लीटर पानी लेना है एक एकड़ के लिए उसमें 250 ml माईटीसाइड और 100ml 🦠वायरस -जी को मिलाकर ठीक तरीके से घोल लेना है और ठीक तरीके से स्प्रे की टंकी इत्यादि में भर लेना है। 


इसका उपयोग पहले से करने पर इस प्रकार कि बीमारियों से बचा जा सकता है और यदि बीमारियां होने के पश्चात करते हैं तो उसको दूर किया जा सकता हैं, नई पत्तियों को रोग मुक्त किया जा सकता है अब यदि आपने रोपण कर दिया हैं तो रोपण के 25 दिन बाद पहला स्प्रे कर सकते हैं और दूसरे स्प्रे के लिए 15 से 20 दिन का गैप देकर आप स्प्रे कर सकते हैँ। तो इस प्रकार आप मिर्च की फसल पर दो - तीन बार स्प्रे कर सकते हैं तो इस प्रकार की बीमारियों से बचा जा सकता है। 


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शुक्रवार, 6 सितंबर 2024

सरसों की फसल में कीट एवं रोग प्रबंधन एवं फसल बुआई से पहले की क्रिया –


 सरसों की फसल की बीजदर  700gm-1 kg प्रति एकड़ रखें 

👉बेसल डोज- 25kg डीएपी, 25kg पोटाश, 6kg सल्फर प्रति एकड

सरसों की फसल में कीट एवं रोग प्रबंधन –

 सरसों की उपज को बढ़ाने तथा उसे टिकाऊपन बनाने के मार्ग में नाशक जीवों और रोगों का प्रकोप एक प्रमुख समस्या है। इस फसल को कीटों एवं रोगों से काफी नुकसान पहुंचता है जिससे इसकी उपज में काफी कमी हो जाती है। यदि समय रहते इन रोगों एवं कीटों का नियंत्रण कर लिया जाये तो सरसों के उत्पादन में बढ़ोत्तरी की जा सकती है। चेंपा या माहू, आरामक्खी, चितकबरा कीट, लीफ माइनर, बिहार हेयरी केटरपिलर आदि सरसों के मुख्य नाशी कीट हैं। काला धब्बा, सफेद रतुआ, मृदुरोमिल आसिता, चूर्णिल आसिता एवं तना गलन आदि सरसों के मुख्य रोग हैं।


प्रमुख कीट

चेंपा या माहू:

सरसों में माहू पंखहीन या पंखयुक्त हल्के स्लेटी या हरे रंग के 1.5-3.0 मिमी. लम्बे, चुभाने एवं चूसने वाले मुखांग वाले छोटे कीट होते हैं। इस कीट के शिशु एवं प्रौढ़ पौधों के कोमल तनों, पत्तियों, फूलों एवं नई फलियों से रस चूसकर उसे कमजोर एवं क्षतिग्रस्त तो करते ही है, साथ ही साथ रस चूसते समय पत्तियों पर मधुस्राव भी करते हैं। इस मधुस्राव पर काले कवक का प्रकोप हो जाता है तथा प्रकाश संश्लेषण की क्रिया बाधित हो जाती है। इस कीट का प्रकोप दिसम्बर-जनवरी से लेकर मार्च तक बना रहता है।


Insect s




प्रबंधन: 

माहू के प्राकृतिक शत्रुओं का संरक्षण करें। प्रारम्भ में प्रकोपित शाखाओं को तोड़कर भूमि में गाड़ दें। जब फसल में कम से कम 10 प्रतिशत पौधे की संख्या चेंपा से ग्रसित हो व 26-28 चेंपा प्रति पौधा हो तब  👉थियामेथोक्जाम 25% WG 20-40gm प्रति एकड 200-400 लीटर पानी , क्लोरोपायरीफास् 20EC @200ml प्रति एकड़ 200 लीटर पानी, एसिटामिप्रिड 20 प्रतिशत एसपी 500 ग्राम या इमिडाक्लोप्रिड 17.8 एस.एल. 150 मिली. को 500 लीटर पानी में घोलकर प्रति हेक्टेयर में सायंकाल में छिड़काव करें। यदि दुबारा से कीट का प्रकोप हो तो 15 दिन के अंतराल से पुन: छिड़काव करें।


आरा मक्खी: 

इस मक्खी का धड़ नारंगी रंग का होता है। इसका सिर व पैर काले होते हैं। सुंडियों का रंग गहरा हरा होता है। जिनके ऊपरी भाग पर काले धब्बों की तीन कतारें होती हैं। इस कीड़े की सुंडियां फसल को उगते ही पत्तों को काट-काट कर खा जाती है। इसका अधिक प्रकोप अक्टूबर-नवम्बर में होता है।





प्रबंधन: 

गर्मियों की गहरी जुताई करें व सिंचाई करने पर भी इसका प्रकोप कम हो जाता है। इस कीट की रोकथाम हेतु मेलाथियान 50 ई.सी. 1 लीटर को 500 लीटर पानी में घोलकर प्रति हेक्टेयर या  250ml को 125 लीटर पानी में पर बीघा  में छिड़काव करें। आवश्यकता पडऩे पर दुबारा छिड़काव करें।

डायमंड बैक मोथ

क्षति के लक्षण:

  • युवा लार्वा द्वारा एपिडर्मल पत्ती के ऊतकों को खुरचने के कारण सफेद धब्बे
  • पत्तियां मुरझाई हुई दिखाई देती हैं लेकिन बाद के चरणों में लार्वा पत्तियों में छेद कर देते हैं
  • यह फलियों में छेद करके विकसित हो रहे बीजों को भी खा जाता है

कीट की पहचान :

  • लार्वा:  पीले-हरे रंग का, पूरे शरीर पर बिखरे हुए बारीक काले बाल 
  • वयस्क: छोटे भूरे रंग के वयस्क के पंख हल्के सफ़ेद रंग के होते हैं, जिनके अंदरूनी किनारे पीले होते हैं। आगे के पंखों के अंदरूनी किनारों पर तीन सफ़ेद त्रिकोणीय धब्बे होते हैं, विपरीत पंखों के त्रिकोणीय निशान हीरे के आकार के दिखाई देते हैं। पिछले पंखों पर लंबे महीन बालों की एक झालर होती है



प्रबंधन :

  • पतंगों की गतिविधि पर नजर रखने के लिए 5/एकड़ की दर से फेरोमोन ट्रैप लगाना
  • सप्ताह में कम से कम दो बार लार्वा को समूह अवस्था में एकत्रित करना और सावधानीपूर्वक नष्ट करना
  • कोटेसिया प्लूटेला को संरक्षित करें  , क्योंकि यह डायमंड बैक मॉथ के लिए एक महत्वपूर्ण परजीवी है।  डायडेग्मा इंसुलारे  भी डायमंडबैक मॉथ का सबसे महत्वपूर्ण परजीवी है
  • बड़े हो चुके लार्वा के नियंत्रण के लिए 5% मैलाथियान पाउडर @37.5 किग्रा/हेक्टेयर या 8.5kg पर बीघा की दर से प्रयोग करें


प्रमुख रोग

सफेद रतुवा या श्वेत किट्ट: 

इस रोग के कारण 23-55 प्रतिशत तक नुकसान होता है। सरसों के अतिरिक्त यह रोग मूली, शलजम, तारामीरा, फूलगोभी, पत्तागोभी, पालक और शकरकंद पर भी पाया जाता है।





प्रबंधन

बीजों को मेटालेक्जिल (एप्रोन 35 एस डी) 6 ग्राम/किग्रा. बीज या मैन्कोजेब 2.5 ग्राम/किग्रा. बीज से उपचारित कर बोयें। खड़ी फसल में रोग के लक्षण दिखाई देने पर मैन्कोजेब (डाइथेन एम-45) या रिडोमिल एम.जेड. 72 फफूंदनाशी के 0.2 प्रतिशत घोल का छिड़काव 15-15 दिन के अंतराल पर करने के सफेद रतुआ से बचाया जा सकता है।


तना गलन:

 इस रोग के कारण लगभग 50-60 प्रतिशत तक हानि होती है।






प्रबंधन: 

हमेशा बुवाई के लिए स्वस्थ व प्रमाणित बीज काम में लेें। फसल की कटाई के बाद गर्मियों में गहरी जुताई करें। बुवाई के 50-60 दिन बाद निचली पत्तियों को हटा दें। बीजों को कार्बेन्डाजिम 2 ग्राम/किग्रा बीज के हिसाब से उपचारित करके बोयें। खड़ी फसल में 50-60 दिन पश्चात् कार्बेन्डाजिम 0.1 प्रतिशत कवकनाशी को पानी में घोलकर छिडकाव करें।


पत्ती धब्बा रोग: 

सामान्यतया यह रोग दिसम्बर-जनवरी में प्रकट होता है। इस रोग के कारण 35-65 प्रतिशत तक हानि होती है।


प्रंबधन: 

बुवाई के लिए हमेशा स्वस्थ व प्रमाणित बीजों का ही उपयोग करें। फसल चक्र अपनायें। गर्मियों की गहरी जुताई करें। खड़ी फसल मेें इस रोग की रोकथाम हेतु 45 दिन बाद मेन्कोजेब (डाइथेन एम-45), या कॉपर ऑक्सीक्लोराइड के 2.5 ग्राम/ लीटर पानी के घोल का छिड़काव रोग के लक्षण दिखाई देने पर 15-15 दिन से अधिकतम तीन छिड़कें। 


 Dr. VIKRAM CHOUDHARY

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शनिवार, 24 जून 2023

AGRICULTURE MARKETING, TRADE & PRICES (AGECON-221) solved paper

            Bachelor of Science (Honours) Agriculture/          

                   B. Sc. (Ag.) and MBA (ABM) Part-II       

      Examination of the Four/Five Year Degree Course,

                                            2019-20

                                       SEMESTER-II
        AGRICULTURE MARKETING, TRADE & PRICES

                                      (AGECON-221)





1. Choose the correct answer and write the number of correct answer 1 or 2 or 3 or 4
in the square given against each sub question. (10X0.5=5.0)

सही उत्तर चुनते हुए उनकी संख्या एक या दो या तीन या चार प्रत्येक ऊप-प्रश्न के सामने
ददए गए वगग में दिखिए I

I. Market structure determines                                                                                       [ 3 ]
1) Market conduct
2) Market performance
3) Market conduct and performance
4) Market integration

बाजार संरचना निर्धारित करती है–
1) बाजार व्यवहार को
2) बाजार प्रदर्शन को
3) बाजार व्यवहार एवं प्रदर्शन को
4) बाजार एकीकरण को

II. Which Which of the following is basic element of marketing mix ?                   [ 1 ]
1) Physical - distribution mix
2) Physical - distribution mix
3) Price mix
4) Product mix

ननम्न में से कौन - सा नवपणन नमश्रण का मूल तत्त्व है ?
1) भौनतक नवतरण नमश्रण
2) स्थान नमश्रण
3) कीमत नमश्रण
4) उत्पाद नमश्रण

III. A market in which permanent and durable goods are traded , it is called        [ 4 ]
1) Short period market
2) Periodic market
3) Long period market
4) Secular market

एक बाजार नजसमें स्थायी और निकाऊ वस्तुओं का व्यापार नकया जाता है, उसे कहते हैं?
1) अल्पकालीन बाजार
2) सामनयक बाजार
3) दीर्घकालीन बाजार
4) सुदीर्घकालीन बाजार

IV. When marketed surplus is more than marketable surplus , it is known as      [ 3 ]
1) Distress sale
2) Forced sale
3) Both (1) & (2)
4) None of the above

जब , विक्रोत अधिशेष, विक्रय अधिशेष से ज्यादा होता है , तो उसे कहते हैं?
1) संकट बिक्री
2) मजबूरी नबक्री
3) (1) & (2)
4) उपरोक्त में से कोई नहीं

V. Which of the following is the base variable of demographic segmentation ?    [2]
1) Family life cycle
2) Life style
3) Personality
4) Attitude

निम्न में से कौन - सा जनसांख्यिकीय विभक्तिकरण का आधार चर है ?
1) पररवार जीवन चक्र
2) जीवन शैली
3) व्यक्तिव
4) प्रवृति

VI. The retailer sell the commodity to                                                                             [ 4 ]
1) Wholesaler
2) Consumer
3) Commission agent
4) Village trader

क्षेत्रीय खुदरा विक्रेता वस्तु को बेचता है?
1) थोक विक्रेता को
2) उपभोक्ता को
3) आइतिय को
4) गांव व्यापारी को

VII. It a firm performs more than one activity in the sequence of the marketing process
, it is known as                                                                                                                     [ 2 ]
1) Horizontal integration
2) Conglomeration integration
3) Vertical integration
4) Marketing function

अगर एक फर्म विपणन प्रक्रिया के अनुक्रम में एक से अधिक कार्य क्रियान्वित करती है तो उस कहते हैं?
1) क्षैतिज एकीकरण
2) संगुटीकरण एकीकरण
3) उदग्र एकीकरण
4) विपणन कार्य

VIII. The difference between the price paid by the consumer and price received by the
producer is called -                                                                                                             [ 1 ]
1) Profit
2) Marketing cost
3) Marketing efficiency
4) Price - spread

उपभोक्ता द्वारा अदा की गयी कीमत तथा उत्पादक को प्राप्त कीमत के अन्तर को कहते हैं-
1) लाभ
2) विपणन
3) विपणन दक्षता
4) कीमत- विस्तार

IX. Food Corporation of India was established in the year                                        [ 1 ]
1) 1965
2) 1955
3) 1956
4) 1975
भारतीय खाद्य ननगम की स्थापना वषा में हुई -
1) 1965 में
2) 1955 में
3) 1956 में
4) 1975 में

X. The office of commission for agricultural costs and prices is located at ?           [ 1 ]
1) Mumbai
2) New Delhi
3) Chennai
4) Jaipur

भारत में सहकारी आंदोलन का नवीनीकरण चरण ननम्न में से कौन सी अवधि के तहत आता है?
1) मुम्बई में
2) नई नदल्
3) चेन्नई में
4) जयपुर में


2. Fill in the blanks : (10X0.5=5.0)
ररक्त स्थानों की पूदतग कीदिए


I. The word market comes from the latin word ‘Marcatus’
“बाजार” शब्द की उत्पनि लैटीन भाषा के …………….. शब्द से हुई |

II. Oligopoly is the market situation in which two sellers exists .
…………….. बाजार की स्थिति जिसमे दो विक्रेता मौजूद हैं|

III. The word advertising is derived from the latin word Advertere
विज्ञापन शब्द लैटिन शब्द…………….. से लिया गया है |
IV. A cash refund is an example of Cash market/ Spot market
नकद वापसी …………………का एक उदाहरण है ।|

V. Itinerant traders are petty merchants who move from village to village .
…………………….. छोटे व्यापारी होते हैं जो एक गांव से दू सरे गांव में घूमते हैं।

VI. The first state warehouse was setup in Bihar in the year 1956
प्रथम राज्य भण्डार गृह की स्थापना बिहार में किस वर्ष ……………… में हुई थी।

VII. The storage function adds Time utility To the product.
भण्डारा कार्य उत्पाद के लिए …………… जोड़ता है।

VIII. Speculation/ Diversification is a trading technique of transferring the price risk .
…………………….मूल्य जोखिम को स्थानांतररत करने की एक व्यापारिक तकनीक है।

IX. The headquarter of WTO is located at Geneva
विश्व व्यापार संगठन ( डब्ल्यू.िी.ओ . ) का मुख्यालय ……………… में स्थित है|

X. Minimum support price is announced by the Govt. Of India
न्यूनतम समथान मूल्य की घोषणा ……………… द्वारा की जाती है ।

3. Define the following : (5x1=5)
दनम्नदिखित को पररभादित कीदिए


I. Agriculture marketing.
कृषि विपणन


Ans कृषि विपणन (Agriculture Marketing) दो शब्दों से मिलकर बना है- Agriculture (कृषि) व Marketing
( विपणन ). कृषि का अर्थ Broadest Sense में देखें तो होगा की Natural Resources का Human Welfare
मे उपयोग करना, जिसके अंतर्गत Production से समबंधित Primary Activities को शामिल किया जाता है|

Agriculture Marketing involve all activity involved in the creation of time, place,
form and possession utility.


II. Marketing mix
विपणन मिश्रण


Ans विक्रय में सफलता प्राप्त करने के लिए विक्रय की विभन्न नीतियों का जो समिश्रण किया जाता है वह
विपणन- मिश्रण कहलाता है|

‘Marketing mix is the unique way in which a firm or industry
combine its price promotion product and distribution channel strategies to appeal
to the consumers.’’
वास्तव में विपणन- मिश्रण, विपणन-रणनीती (Marketing strategies) / विपणन उपकरणों
(Marketing tools) का एक भाग है जिसके द्वारा विभन्न लक्ष् को प्राप्त किया जाता है


III. Packaging
पैकिंग


Ans वस्तुओं को एक स्थान से दू सरे स्थान पर लाने - ले - जाने या भण्डारण करने के लिए उन्हें बोरों में या
 डिब्बों में भरा जाता है, जिससे उठाने - रखने में सुविधा रहे तथा यातायात में खराब होने का डर नहीं
रहता। इस प्रक्रिया को पैकिंग कहते हैं।


IV. Marketing channel
विपणन माध्यम


Ans प्रोफेसर कोहल्स के मतानुसार " नवपणन के स्रोतों को उन वैकल्पिक मागों के रूप में परिभाषित किया जा
सकता है, जिसके द्वारा वस्तु उत्पादकों से उपभोक्ता की ओर बढ़ती है "।

"Marketing channels may be defined as alternative routes of products flows from
producers to consumers ." - R.L. Kohls.

V. International trade
अन्तरागष्ट्रीय व्यापार


Ans अंतरााष्ट्रीय व्यापार, अंतरााष्ट्रीय सीमाओं या क्षेत्रोंके आर-पार पूंजी, माल और सेवाओं का आदान-प्रदान है।.
अधिकांश देशों में, यह सकल घरेलू उत्पाद के महत्त्वपूर्ण अंश का प्रीतिनिधित्व करता है|

International trade is the exchange of goods and services between countries. 













मंगलवार, 3 जनवरी 2023

Agriculture Top 10 Business 💯


👉AGRICULTURE TOP 10 BUSINESS:-


👉AGRICULTURE BUSINESS KESE KARE :-


:-भारत को प्राचीन काल से कृषि प्रधान देश माना जाता है क्योंकि भारत की अधिकांश जनसंख्या ने कृषि को अपने प्राथमिक व्यवसाय या पारिवारिक व्यवसाय के रूप में अपनाया है। 

:-अधिकांश उत्पाद भारत से अन्य देशों को निर्यात किए जाते हैं। कोविड के कारण जब सभी व्यवसायों को थोड़े समय के लिए बंद या बंद करने की घोषणा की गई थी। 

:-उस समय किसान और जमींदार अभी भी अपने खेतों में काम कर रहे थे, इसलिए यह व्यापार उद्योगों में सबसे विश्वसनीय क्षेत्रों में से एक बन गया है। 

:-इस क्षेत्र का बहुत विस्तार किया गया है और अभी भी बहुत से कृषि व्यवसाय विचारों को पैसा बनाने के कारण विस्तार कर रहा है। ऐसे सैकड़ों उद्योग हैं जिन्हें कृषि से जोड़ा गया है।



सर्वप्रथम कृषि व्यवसाय को तीन व्यापक श्रेणियों में वर्गीकृत किया गया है जिनका वर्णन नीचे किया गया है:- 

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उत्पादक संसाधन :- इस श्रेणी में बीज, चारा, खाद, उपकरण, ऊर्जा, मशीनरी आदि प्रमुख आवश्यकताएँ सम्मिलित हैं अर्थात् इनके बिना कृषि क्षेत्र में कुछ भी सम्भव नहीं है।


कृषि वस्तुएं:- परिणाम (उगाए हुए अनाज या मसाले) प्राप्त करने के बाद, इन्हें खाद्य और फाइबर की कच्ची या प्रसंस्कृत वस्तुओं के रूप में उपयोग करने के लिए बेचा जाता है। 


सुविधाजनक सेवाएं : - फिर, उत्पादों पर, आपको कुछ सुविधाजनक सेवाओं जैसे भंडारण, प्रसंस्करण, पैकिंग, परिवहन, विपणन, ऋण, बीमा और बहुत कुछ की आवश्यकता हो सकती है।




कृषि में सबसे अधिक लाभदायक व्यवसाय विचार:-


यहां कृषि में सबसे अधिक मांग वाले और लाभदायक व्यवसायों में से कुछ हैं। आप उनमें से किसी के साथ भी शुरुआत कर सकते हैं जिसका वर्णन नीचे किया गया है:


1. कृषि भूमि :- 

आप उपजाऊ कृषि भूमि खरीदने में अपना पैसा लगा सकते हैं ताकि आप स्थानीय और साथ ही दूर-दराज के स्थानों पर कुछ सबसे अधिक मांग वाली वस्तुओं का उत्पादन करके अपना काम शुरू कर सकें। अभी तकनीक के विकास के कारण आप विभिन्न सोशल मीडिया चैनलों का उपयोग करके अपने उत्पादों का ऑनलाइन प्रचार और बिक्री भी कर सकते हैं। 

2. किराना शॉपिंग पोर्टल :- 

वर्तमान में, लोग दिन-प्रतिदिन के किराने का सामान खरीदने के लिए अपना समय बर्बाद नहीं करना चाहते हैं क्योंकि वे अपने ऑर्डर किए गए किराने का सामान अपने दरवाजे पर प्राप्त करना पसंद करते हैं। तो आप अपना खुद का ई-शॉपिंग पोर्टल शुरू कर सकते हैं और अधिकतम लाभ प्राप्त कर सकते हैं। 


 4. सूखे फूलों का बिजनेस :-   

यह बिजनेस आइडिया पिछले 10 सालों से सामने आया है। आप अपनी खाली पड़ी जमीन में फूल उगा सकते हैं जहां वे ठीक से सूख जाएंगे और उसके बाद आप उन सूखे फूलों को क्राफ्ट स्टोर या शौकिया लोगों को बेच सकते हैं।  

5. मधुमक्खी पालन :-

 जैसे-जैसे लोग स्वास्थ्य के प्रति जागरूक होते जा रहे हैं, शहद की मांग बहुत अधिक बढ़ गई है, इसलिए आप मधुमक्खी पालन व्यवसाय शुरू कर सकते हैं और अधिकतम लाभ प्राप्त करने के महान अवसर का लाभ उठा सकते हैं। आपको बस मधुमक्खियों पर कड़ी निगरानी रखनी होगी।


 6. फल एवं सब्जियों का निर्यात :- 

आप ताजे फल और सब्जियों को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बेचने के लिए अपना व्यवसाय शुरू कर सकते हैं और इसके लिए आपको किसानों से पूरे उत्पाद एकत्र करने होंगे। इसके लिए आपको आयात और निर्यात नीतियों के बारे में पूरी जानकारी होनी चाहिए। 


 7. डेयरी व्यवसाय :- 




लोग दूध और दुग्ध उत्पादों की इतनी मांग कर रहे हैं इसलिए यह बहुत अच्छा और लाभदायक व्यवसायिक विचार है। आपको इस व्यवसाय के लिए एक अच्छी राशि का निवेश करने और डेयरी विशेषज्ञों से अधिक से अधिक ज्ञान प्राप्त करने की आवश्यकता है और आपको निश्चित रूप से अच्छी कमाई प्राप्त होगी। 


8. झाडू उत्पादन :-  



झाडू का उपयोग फर्श की सफाई करने और उसमें से गंदगी और धूल हटाने के लिए किया जाता है। आपको इस परियोजना पर बस एक छोटी सी पूंजी का निवेश करना होगा और कम समय में अच्छा लाभ प्राप्त कर सकते हैं।


9. मूंगफली प्रसंस्करण :-  

इस व्यवसाय को शुरू करने के लिए, आपको बस अच्छी गुणवत्ता वाले कच्चे माल (मूंगफली) और मध्यम पूंजी की आवश्यकता है क्योंकि पूरी दुनिया में प्रसंस्कृत मूंगफली की अत्यधिक मांग है।   


10. औषधीय जड़ी बूटियों की खेती :-



इस बिजनेस को शुरू करने के लिए आपके पास जड़ी-बूटियों का अच्छा ज्ञान और पर्याप्त जमीन होनी चाहिए। आप औषधीय जड़ी-बूटियाँ उगा सकते हैं और उन्हें बेच सकते हैं लेकिन इस व्यवसाय के लिए सरकार से निश्चित लाइसेंस के साथ।



ये कुछ व्यवसाय हैं जो कृषि व्यवसायों से संबंधित हैं। कृषि व्यापार विचारों की एक बड़ी सूची देखने के लिए बाकी है। इसके बारे में अधिक जानने के लिए, बस हमारे आने वाले लेखों को पढ़ते रहें।

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मंगलवार, 13 दिसंबर 2022

भारत में वर्मीकम्पोस्ट बिजनेस केसे करें?

वर्मीकम्पोस्ट व्यवसाय योजना: - 


भारत में वर्मीकम्पोस्ट व्यवसाय योजना:-


वर्मीकंपोस्टिंग, केंचुओं का उपयोग करके खाद बनाने की वैज्ञानिक प्रक्रिया है वे ज्यादातर मिट्टी में रहते हुए पाए जाते हैं, 

बायोमास पर भोजन करते हैं और इसे पचाने के रूप में विसर्जित करते हैं। वर्मीकम्पोस्ट एक प्रकार का जैविक खाद है। यह जैविक खाद बनाकर प्राप्त किया जाता है केंचुओं की कई प्रजातियों का उपयोग करके अपशिष्ट वर्मीकंपोस्ट बनाने की इस विधि को वर्मीकम्पोस्टिंग कहते हैं। 

यह मिट्टी की गुणवत्ता में सुधार कर सकता है, पौधों की पैदावार बढ़ा सकता है और बीमारियों और कीटों को दबा सकता है। वर्मीकम्पोस्टिंग इकाइयां मुख्य रूप देश के दक्षिणी और मध्य भागों में, सरकारी समर्थन के तहत / गैर-सरकारी संगठनों (NGO) के तकनीकी मार्गदर्शन के तहत, उद्यमियों स्थापित की गई हैं। 

वर्मीकम्पोस्टिंग का द्वारा उपयोग कर्नाटक, तमिलनाडु, राजस्थान, केरल, महाराष्ट्र, गुजरात और मध्य प्रदेश (MP) राज्यों में लोकप्रिय हुआ। अब, हम भारत में वर्मीकम्पोस्ट व्यवसाय योजना पर आते हैं।


भारत में वर्मीकम्पोस्ट व्यवसाय योजना के लिए एक कदम दर कदम गाइड:-


वर्मीकंपोस्टिंग के प्रत्यक्ष पर्यावरणीय और आर्थिक लाभ हैं। क्योंकि यह टिकाऊ कृषि उत्पादन और किसानों की आय में महत्वपूर्ण योगदान देता है। 

कुछ गैर-सरकारी संगठन, समुदाय आधारित संगठन (CBO), स्वयं सहायता समूह (SHG), और ट्रस्ट आदि हैं, 

जो अपने स्थापित आर्थिक और पर्यावरणीय लाभों के कारण वर्मीकम्पोस्टिंग तकनीक को बढ़ावा देने के लिए ठोस प्रयास कर रहे हैं। 

वर्मीकम्पोस्टिंग देश में लोकप्रियता प्राप्त कर रहा है लेकिन ज्यादातर मामलों में व्यक्तिगत किसानों द्वारा अपनी आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए इसे अपनाया जा रहा है। वर्मीकम्पोस्ट का व्यावसायिक उत्पादन देश में बड़े पैमाने पर होता है।


वर्मीकम्पोस्टिंग में दो विधियाँ शामिल हैं:-


क्यारी विधि - क्यारी विधि एक आसान प्रक्रिया है जिसमें कार्बनिक पदार्थों की क्यारियाँ तैयार की जाती हैं।



गड्ढा विधि - इस विधि में कार्बनिक पदार्थ को सीमेंटेड गड्ढों में एकत्र किया जाता है। हालांकि, यह विधि प्रमुख नहीं है क्योंकि इसमें खराब वातन और जलभराव की समस्याएँ शामिल हैं।



केंचुओं की स्थानीय किस्मों का उपयोग करके वर्मीकम्पोस्टिंग:-


•विश्व में पहचानी जाने वाली केंचुओं की 2500 प्रजातियों में से भारत में केंचुओं की 500 से अधिक प्रजातियों की पहचान की गई है।


•केंचुए की विविधता मिट्टी के साथ बदलती है और वर्मीकम्पोस्टिंग के लिए देशी प्रजातियों का चयन आवश्यक है। और उन्हें आयात करने की कोई आवश्यकता नहीं है।



• भारत में उपयोग की जाने वाली स्थानीय केंचुए की प्रजातियाँ पेरिओनिक्स एक्सकावेटस और लैम्पिटो मौरिटी हैं।


•भारत में वर्मीकम्पोस्टिंग की प्रासंगिकता:-

हरित क्रांति कृषि उत्पादन को बढ़ाकर भारत में भोजन की कमी के मुद्दे से निपटने के लिए है, जिसके कारण बीजों की उच्चउपज वाली किस्मों को रासायनिक उर्वरकों और कीटनाशकों के गहन उपयोग की आवश्यकता होती है। 

हालांकि हरित क्रांति ने देश में खाद्य उत्पादन में उल्लेखनीय वृद्धि की, लेकिन इसने रासायनिक उर्वरकों, कीटनाशकों और कीटनाशकों के उपयोग पर किसानों की निर्भरता को बढ़ाया। साथ ही जैविक खाद और खाद के प्रयोग में भी काफी कमी आई है।

वर्षों से, सिंथेटिक उर्वरकों, कीटनाशकों और कीटनाशकों जैसे आधुनिक कृषि आदानों के अत्यधिक उपयोग के परिणामस्वरूप भारत में गंभीर भूमि और पर्यावरण का क्षरण हुआ है। इसके बाद, यह एक ऐसे बिंदु पर पहुंच गया है जहां किसानों को कृषि से घटते रिटर्न का अनुभव होना शुरू हो गया है,

 जबकि उनकी इनपुट लागत में काफी वृद्धि हो रही है। यह उपरोक्त पृष्ठभूमि में है कि देश में आर्थिक और पर्यावरणीय कारकों के कारण खेतों को अकार्बनिक से जैविक खेतों में परिवर्तित करने की आवश्यकता की जा रही है।


वर्मीकंपोस्टिंग परियोजना का उद्देश्य:-


कई फायदों के बारे में जागरूकता के कारण दुनिया भर में वर्मीकम्पोस्ट की मांग बढ़ रही है और वर्मीकम्पोस्टिंग पौधों के विकास के लिए आवश्यक पोषक तत्व और वृद्धि बढ़ाने वाले हार्मोन प्रदान करता है। 

वर्मीकम्पोस्ट का उपयोग करके उगाए जाने वाले फल, फूल और सब्जियों के पौधों की गुणवत्ता बेहतर रखने की सूचना है। आमतौर पर केंचुए न केवल कचरे को बहुमूल्य खाद में बदलते हैं बल्कि पर्यावरण को भी स्वस्थ रखते हैं।

जैविक रूप से भुखमरी वाली मिट्टी के लिए असाधारण गुणवत्ता की जैविक खाद का उत्पादन करना वर्मीकम्पोस्टिंग परियोजना का मुख्य उद्देश्य है। 

कृषि अपशिष्ट का अर्थ है डेयरी और पशु फार्मों से निकलने वाले कचरे को स्थानों पर फेंक दिया जाता है, जिसके परिणामस्वरूप गंदगी फैल जाती है। 

वे न केवल कुशलता से उपयोग किए जाते हैं बल्कि वर्मीकंपोस्टिंग द्वारा मूल्यवर्धित उत्पाद बनाने में भी मदद करते हैं।


वर्मीकम्पोस्ट उत्पादन आवश्यकताएँ:-


वर्मीकम्पोस्टिंग परियोजना में आवश्यक उत्पादन, आवश्यकताएँ, आधार सामग्री और केंचुए की सही प्रजातियाँ हैं ।


वर्मीकम्पोस्टिंग के लिए आवश्यक आधार सामग्री जैविक और बायोडिग्रेडेबल होनी चाहिए।


• डेयरी फार्म से गाय का गोबर


•बकरी और भेड़ का गोबर


• जैविक कीचड़


•पेड़ के पत्ते


• फसल अवशेष 


• कुक्कुट पालन से कुक्कुट गोबर


• सब्जियों का कचरा


नाइट्रोजन की मात्रा अधिक होने के कारण कुक्कुट के गोबर को कम मात्रा में मिलाना चाहिए। कृषि या खाद्य उद्योगों से जैविक कचरे को खाद सामग्री में केंचुओं के लिए फ़ीड के रूप में शामिल किया जा सकता है।


भारत में वर्मीकम्पोस्ट व्यवसाय के लिए केंचुआ प्रजाति:-


सामान्यतः विश्व में केंचुओं की 2500 से अधिक प्रजातियाँ पाई जाती हैं। वे विविध हैं और स्थानीय रूप से प्राप्य विविधता का उपयोग करने की सिफारिश की जाती है क्योंकि यह जगह के लिए स्वदेशी है और विशेष भौगोलिक स्थिति के लिए स्वाभाविक रूप से अनुकूलित है। 

व्यावसायिक वर्मीकम्पोस्टिंग में विशिष्ट केंचुओं की प्रजातियों का उपयोग किया जाता है जैसे कि पेरिओनिक्स एक्सकावेटस, ईसेनिया फोएटिडा, और यूड्रिलस यूजेनिया, आदि। एसेनिया फोएटिडा को लाल केंचुआ भी कहा जाता है और इसमें गुणन की उच्च दर होती है। 

यह कार्बनिक पदार्थों को ऊपर से परिवर्तित करता है, यह एक सतह फीडर है। कार्बनिक पदार्थ का खाद में रूपांतरण 45 से 50 दिनों के भीतर हो जाता है।


वर्मीकम्पोस्ट अनुप्रयोग की खुराक:-


वर्मीकम्पोस्ट की खुराक का उपयोग उगाई जाने वाली फसल के प्रकार पर निर्भर करता है। फलों के पौधों के लिए, इसे पेड़ के बेसिन में लगाया जाता है। 

यह मुख्य रूप से पॉटेड पौधों के लिए पॉटिंग मिश्रण और रोपण बढ़ाने के लिए जोड़ा जाता है। 

वर्मीकम्पोस्ट का उपयोग एक एकीकृत पोषक तत्व आपूर्ति प्रणाली के एक घटक के रूप में किया जाना चाहिए।


• खेत की फसलें - 5-6 टन/ हेक्टेयर


• फलों की फसलें - 3-5 किग्रा / पौधा


• बर्तन - 100-200 ग्राम / पात्र



एक वर्मीकम्पोस्ट वाणिज्यिक इकाई के घटक:-


गाय के गोबर की उपलब्धता के आधार पर वर्मीकम्पोस्टिंग के लिए व्यावसायिक इकाइयां विकसित की जानी हैं। एक वर्मीकम्पोस्ट वाणिज्यिक इकाई के घटक हैं;


शेड :- 

चाहे छोटे या बड़े आकार के वर्मीकम्पोस्टिंग यूनिट हों, शेड एक आवश्यक वस्तु है और वर्मी बेड को सुरक्षित करने के लिए आवश्यक है। 

वे छप्पर की छत के हो सकते हैं जिन पर बांस के खंभे और शहतीर, लकड़ी या स्टील के ट्रस और पत्थर / आरसीसी के खंभे लगे होते हैं। 

स्थानीय रूप से उपलब्ध छत सामग्री या एचडीपीई शीट का उपयोग छत में पूंजी निवेश को यथोचित निचले स्तर पर रखने के लिए भी किया जाता है। 


यदि हवा के दिन बारिश के कारण बिस्तरों को गीला होने से बचाने के लिए शेड का आकार चुना जाता है, तो वे खुले शेड हो सकते हैं। 

शेड डिजाइन करने के लिए बिस्तरों के चारों ओर पर्याप्त जगह छोड़नी होती है, ताकि भरने और कटाई करने वाले मजदूरों की आसानी से आवाजाही हो सके। 



वर्मीबेड:-

आम तौर पर, बेड की ऊंचाई 0.3 से 0.6 मीटर होती है, जो मुख्य रूप से अतिरिक्त पानी की निकासी के प्रावधान पर निर्भर करता है। 

बिस्तर के केंद्र तक आसानी से पहुंचने के लिए बिस्तर की चौड़ाई 1.5 मीटर से अधिक नहीं होनी चाहिए।


बिस्तर और अन्य खाद आवश्यक केंचुओं के लिए खाद - तैयार करते समय कुछ बुनियादी बातों पर ध्यान देना चाहिए जैसे नमी की मात्रा, वातन, भोजन का स्रोत, संपन्न वातावरण और अत्यधिक तापमान में उतार-चढ़ाव से सुरक्षा ।


भूमि:-

वर्मीकल्चर उत्पादन स्थापित करने के लिए लगभग 0.5 से 0.6 एकड़ भूमि की आवश्यकता होगी। केंद्र में सुविधा के लिए कम से कम 6 से 8 शेड और तैयार उत्पादों के लिए एक समर्पित क्षेत्र होगा। 

इसमें एक बोरवेल और पंप सेट या पानी की व्यवस्था और योजना अर्थशास्त्र में वर्णित अन्य उपकरण होने चाहिए। जमीन को कम से कम 10 से 15 साल के लिए लीज पर लिया जा सकता है। 

वर्मीकम्पोस्ट उत्पादन का व्यवसाय किसी भी स्थान पर किया जा सकता है जिसमें छाया, उच्च आर्द्रता और ठंडक हो। साथ ही, वर्मीकम्पोस्ट उत्पादन के लिए पोल्ट्री शेड या अप्रयुक्त भवनों का उपयोग किया जा सकता है। 

यदि इसे खुले क्षेत्र में उत्पादित किया जाना है, तो छायांकन प्रदान किया जाना चाहिए। फिर, वर्मीकम्पोस्ट उत्पादन के लिए ढेर किए गए कचरे को नम गनी बैग से ढक दिया जाता है।


भवन - विद्युतीकरण और वर्मी- शेड सहित भवनों की लागत :-


बीज स्टॉक -

 वर्मीकम्पोस्ट व्यवसाय के लिए बीज स्टॉक एक महत्वपूर्ण वस्तु है जिसमें काफी व्यय की आवश्यकता होती है।

 कृमि 6 महीने से एक वर्ष में आवश्यक संख्या देने के लिए तेजी गुणा करते हैं; 

यह तब तक इंतजार नहीं कर सकता था जब तक कि बुनियादी ढांचे में भारी निवेश न हो जाए।


जल आपूर्ति प्रणाली- 

चूंकि बिस्तरों को लगभग 50% नमी की मात्रा के साथ हमेशा नम रखना होता है, इसलिए जल स्रोत, उठाने की व्यवस्था और संदेश प्रणाली की योजना बनाने की आवश्यकता होती है। हालांकि, चौबीसों घंटे प्रवाह व्यवस्था वाले ड्रिपर निरंतर आपूर्ति और पानी की बचत के लिए उपयोगी होंगे। 

ऐसी जल आपूर्ति प्रणाली के लिए प्रारंभिक निवेश की आवश्यकता होती है। हालांकि, यह हाथ से पानी देने की परिचालन लागत को कम करता है। 

इन मदों की लागत मुख्य रूप से इकाई की क्षमता और चुनी गई जल आपूर्ति के प्रकार पर निर्भर करेगी।


मशीनरी - 

कच्चे माल को छोटे-छोटे टुकड़ों में काटना, कटे हुए कच्चे माल को वर्मी- शेड तक पहुँचाना, खाद का संग्रह करना और इकाई के कुशल संचालन के लिए मशीनरी आवश्यक है।


परिवहन - 

किसी भी वर्मीकम्पोस्टिंग इकाई के लिए परिवहन व्यवस्था महत्वपूर्ण है। 

जब कच्चे माल का स्रोत उत्पादन इकाई से दूर होता है, तो ऑफ साइट परिवहन निवेश का मुख्य मद बन जाता है। 

1000 टन प्रति वर्ष क्षमता वाली एक बड़े आकार की वर्मीकम्पोस्ट इकाई के लिए लगभग 3 टन क्षमता वाले मिनी ट्रक की आवश्यकता होती है। 

कच्चे माल और तैयार उत्पादों को भंडारण बिंदु और वर्मीकम्पोस्ट शेड के बीच ले जाने के लिए मैन्युअल रूप से खींची गई ट्रॉली जैसी ऑन-साइट परिवहन सुविधाओं को परियोजना लागत में शामिल किया जा सकता है।


वर्मीकम्पोस्ट के अनुप्रयोग:-


• वर्मीकम्पोस्ट में स्थूल और सूक्ष्म पोषक तत्वों का प्रतिशत

अधिक होता है। 

•फाइन वर्म कास्ट एनपीके मूल्य से भरपूर होता है 

जो आसानी से उपलब्ध होता है और आवेदन के एक

•महीने के भीतर जारी किया जाता है। 

•यह पौधों की वृद्धि कोब ढ़ाता है, मिट्टी में माइक्रोबियल गतिविधि को बढ़ाता है और

•जल प्रतिधारण में भी सुधार करता है।


वर्मीकम्पोस्ट और खाद के विपरीत, इस तरल जैविक उर्वरक को सीधे पौधे के पत्ते पर लगाया जा सकता है, कथित तौर पर रोग दमन को बढ़ाने के लिए। 

वर्मीकम्पोस्ट चाय जैविक गतिविधि को बढ़ाने के लिए कंपोस्ट अनुप्रयोगों के बीच पूरक के रूप में मिट्टी पर भी लागू होती है।


• वर्मीकम्पोस्ट को थोक में बेचा जा सकता है या विभिन्न प्रकार खाद और मिट्टी के मिश्रण के साथ पैक किया जा सकता है। 

•बाजारों में गृह सुधार केंद्र, नर्सरी, उद्यान आपूर्ति स्टोर, किराना चेन, फूलों की दुकानें और आम जनता शामिल हैं।


वर्मीकम्पोस्ट जैविक खाद उत्पादन व्यवसाय शुरू करें:-

यह दुनिया भर में कृषि व - व्यवसाय मॉडल का मुख्य घटक है और इसमें कम प्रारंभिक निवेश है। 

यह खाद्य अपशिष्ट, बिस्तर सामग्री, और वर्मीकास्ट का मिश्रण बनाने के लिए कीड़े की कई प्रजातियों का उपयोग करके कंपोस्टिंग की प्रक्रिया है।

वर्मीकम्पोस्ट अनिवार्य रूप से जैविक खाद है। फिर जैविक और पौधों के अवशेषों पर केंचुओं को मिलाकर इस प्रकार का जैव उर्वरक तैयार किया जाता है। 

यह जैविक रूप से तैयार उर्वरक सूक्ष्म पोषक तत्वों जैसे एन, पी, के, और कई अन्य पोषक तत्वों से भरपूर है जो पौधे के विकास के लिए आवश्यक हैं।  



वर्मीकम्पोस्ट वर्मीकम्पोस्ट व्यवसाय शुरुआती के लिए व्यवसाय योजना:-

आम तौर पर, वर्मीकम्पोस्ट में उद्यान खाद की तुलना में स्थूल और सूक्ष्म पोषक तत्वों का प्रतिशत अधिक होता है। कचरे के प्रकार, केंचुओं की आबादी और पर्यावरणीय कारकों के आधार पर उत्पाद लगभग 45 से 60 दिनों में परिपक्व हो जाता है। फिर, एक वर्ष में 5 से 6 संभावित चक्र होते हैं।


वर्मीकम्पोस्ट जैविक खाद उत्पादन के लिए आवश्यक सामग्री:-

कंपोस्टिंग सामग्री के रूप में उपयोग किए जाने वाले कई सड़ने योग्य जैविक कचरे इसमें रसोई का कचरा, खेत के अवशेष और वन कूड़े आदि शामिल हैं। वर्मीकम्पोस्ट उत्पादन के लिए इस्तेमाल होने वाले कच्चे माल में जानवरों का गोबर और सूखे कटे हुए फसल के अवशेष शामिल हैं।  

केंचुए की विभिन्न प्रजातियां हैं जैसे Eisenia Foetida, Eudrilus Eugenia, 3 Perionyx Excavatus, आदि लेकिन, मुख्य रूप से Eisenia foetida को इसकी उच्च गुणन दर के कारण पसंद किया जाता है। 

उनके पास मिट्टी की स्थिति में सुधार करने का अवसर है, उच्च गुणवत्ता वाली फसलों की उपज में वृद्धि हुई है जिसके परिणामस्वरूप अधिक लाभ हुआ है, प्राकृतिक संसाधनों की भरपाई करके पर्यावरण की मदद करने के साथ-साथ कई लोगों को वर्मी फार्मों में नौकरी देकर उनकी मदद करने का अवसर मिला है। 

इसके अलावा, अतिरिक्त वर्मीकम्पोस्ट का व्यावसायिक रूप से विपणन किया जा सकता है, जबकि केंचुआ बायोमास की अधिशेष वृद्धि को अन्य किसानों और परिवारों को भी बेचा जा सकता है जो अपना वर्मीकम्पोस्टिंग उद्यम शुरू करना चाहते हैं। इससे ग्रामीण इलाकों में आर्थिक विकास होगा और आयातित उर्वरकों के उपयोग में कमी के माध्यम से सरकार को बचत होगी।


वर्मीकम्पोस्टिंग व्यवसाय के लिए बाहरी धन विभिन्न तरीकों से प्रदान किया जा सकता है:


•अनुदान के रूप में


• अल्पकालीन ऋण के रूप में


• दीर्घ कालीन ऋण के रूप में


•वर्मीकम्पोस्ट उर्वरक के उत्पादन के लिए निर्माण प्रक्रिया


•एक टैंक का निर्माण करना है। इसके अलावा, आप एक साधारण गड्ढा बना सकते हैं। वर्मीकम्पोस्ट उर्वरक के उत्पादन में पालन करने के लिए बुनियादी कदम नीचे दिए गए हैं;



• प्रारंभ में, आप बायो-डिग्रेडेबल एग्रो वेस्ट को इकट्ठा करना चाहते हैं।


• हाथ से चलने वाली कटिंग मशीन का उपयोग करके उन्हें छोटे टुकड़ों में काट लें।


• एक वर्मीकम्पोस्टिंग इकाई ठंडी, नम और छायादार जगह पर होनी चाहिए।


• लगभग 6x2x2 फीट आकार के आंशिक रूप से विघटित  

बिस्तर के तल पर आंशिक रूप से बायोडिग्रेडेबल कृषि- अपशिष्ट की 6 इंच की परत तैयार करें।


• 15 से 20 दिनों के लिए कृषि - कचरे को और सड़ने के लिए उस पर गाय के गोबर के घोल की 1 इंच की परत लगाएं।


• आंशिक सड़न के बाद गोबर के घोल से 4 इंच की गोबर की खाद की परत से ढक दें।


कीड़े निकलने के तुरंत बाद पानी को कैन से छिड़कना चाहिए।


• प्रतिदिन पानी का छिड़काव करके और जूट की थैलियों से


ढककर बिस्तरों को नम रखना चाहिए


30 दिनों के बाद एक बार क्यारी को पलट देना चाहिए ताकि हवा का संचार बना रहे और 45 से 50 दिनों में खाद तैयार हो जाएगी।


वर्मीकम्पोस्ट कैसे तैयार करें:-

वर्मीकम्पोस्ट तैयार करने के लिए कच्चे माल के रूप में किसी भी प्रकार के बायोडिग्रेडेबल कचरे का उपयोग किया जा सकता है। यहां आमतौर पर इस्तेमाल होने वाले कचरे की सूची दी गई है;


• फसल अवशेष


• खरपतवार बायोमास


•कृषि उद्योगों से अपशिष्ट


• पौधे से निकलने वाला कचरा


•सब्जी से निकलने वाला कचरा


••होटलों से निकलने वाला कचरा


• एक बायोडिग्रेडेबल कचरा ।


वर्मीकम्पोस्टिंग के विभिन्न चरण :-


(चरण 1) पूर्व तैयारी जिसमें मुख्य रूप से निम्नीकरणीय अपशिष्ट से अपघटनीय अपशिष्ट का संग्रह शामिल है।

(चरण 2) एकत्रित कचरे का गोबर के घोल के साथ ढेर लगाने तक लगभग एक महीने तक पाचन, और यह पचा हुआ पदार्थ केंचुओं के सेवन के लिए उपयुक्त होता है।

(चरण 3) खाद तैयार करने के लिए कचरे को डालने के लिए

सीमेंट बेस की आवश्यकता होती है। फिर, कीड़ों को मिट्टी के अंदर जाने दें ताकि मिट्टी को पानी से ढीला किया जा सके।

(चरण 4) फिर, तैयार खाद के संग्रह के बाद कीड़ों को ठोस आधार से इकट्ठा करें।

(चरण 5) तैयार खाद का उपयुक्त स्थान पर भंडारण ताकि सूक्ष्म जीव वृद्धि के साथ-साथ नमी भी बनी रहे।


वर्मीकम्पोस्ट उर्वरक उत्पादन की कटाई प्रक्रिया:-

आमतौर पर, वर्मीकम्पोस्ट की कटाई के कई तरीके हैं। वर्मीकम्पोस्ट को तब काटा जाता है जब यह काला हो जाता है, 

भुलक्कड़ बनावट हाथों में पिघल जाती है और कॉफी के मैदान की तरह दिखती है अधिकांश कीड़े निश्चित रूप से ऊपरी स्तरों में होंगे और आप उनमें से कुछ को एकत्रित ट्रे पर हमेशा पा सकते हैं, लेकिन वे पौधों के लिए कोई समस्या नहीं हैं, ठीक इसके विपरीत। 

जब आप पूरी तरह से सड़ चुके वर्मीकम्पोस्ट प्राप्त कर लें तो आपको पानी देना बंद कर देना चाहिए। आंशिक रूप से सड़ी हुई गाय के गोबर के ढेर पर रखें ताकि केंचुए खाद से गाय के गोबर में जा सकें। 

2 दिनों के बाद खाद को अलग करके बैगिंग के लिए छान लिया जा सकता है और फिर उपयोग किया जा सकता है।


भारत में वर्मीकम्पोस्ट व्यवसाय योजना में उपाय:-

वर्मीकम्पोस्टिंग के दौरान कुछ बातों का ध्यान रखना चाहिए। ऐसा इसलिए है क्योंकि केंचुए अत्यधिक संवेदनशील जीव होते हैं। सावधानी बिंदु नीचे दिए गए हैं;


खाद सामग्री - 

खाद सामग्री पूरी तरह जैविक होनी चाहिए। यह पत्थरों, चीनी मिट्टी के टुकड़ों और प्लास्टिक आदि जैसी सामग्रियों से रहित होना चाहिए।

वर्मीकम्पोस्ट के ढेर को सही मात्रा में भरना चाहिए। इसे ओवरलोड नहीं किया जाना चाहिए क्योंकि ओवरलोडिंग से गैसों का संचय होता है और तापमान स्तर में वृद्धि होती है । यह उनकी वृद्धि और जनसंख्या को प्रभावित करेगा।


अम्लीय पदार्थों को मिलाना -

 साइट्स जैसे अम्लीय पदार्थों से बचना चाहिए। यदि जोड़ा जाता है तो उन्हें कम मात्रा में ही डाला जाना चाहिए क्योंकि ये अम्लीय पदार्थ खाद के पीएच स्तर के संतुलन को प्रभावित करते हैं।


जल तनाव - 

बहुत अधिक पानी कृमियों को मार सकता है। अतः खाद के ढेर पर गर्मी के दिनों में प्रतिदिन पानी का छिड़काव अवश्य करना चाहिए। सर्दियों के दौरान हर दूसरे दिन बिस्तरों को नम करना चाहिए


क्यारियों को ढकना - 

वर्मीकम्पोस्ट के क्यारों को प्लास्टिक शीट या तिरपाल से नहीं ढकना चाहिए। इससे गैसों का संचय हुआ और बिस्तर के अंदर गर्मी भी बढ़ गई जो केंचुओं के लिए हानिकारक हो सकती है। 


कीटों से सुरक्षा - 

कोई विशिष्ट कीट और रोग केंचुओं को प्रभावित नहीं कर सकते हैं। हालाँकि, उन्हें चूहों, दीमक, पक्षियों और चींटियों आदि जैसे कीटों से बचाना चाहिए। इन कीटों से बचाने के लिए साइट पर 5% नीम आधारित कीटनाशक का छिड़काव किया जाता है।


वर्मीकम्पोस्टिंग के फायदे:-

वर्मीकम्पोस्टिंग तुलनात्मक रूप से सस्ता, पर्यावरण के अनुकूल है, और मिट्टी के स्वास्थ्य को बढ़ाता है जिसका मानव स्वास्थ्य, वनस्पतियों और जीवों पर सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।


• यह टिकाऊ कृषि उत्पादन और पशुपालन के लिए फायदेमंद है।


• प्रोटीन युक्त चारे के रूप में अतिरिक्त केंचुए की उपलब्धता के कारण पोल्ट्री, मत्स्य पालन और सूअर पालन जैसे अन्य सूक्ष्म उद्यमों में महिलाओं की भागीदारी में वृद्धि ।


• यह पौधे को नए पौधे के साथ-साथ अच्छी तरह से विकसित होने के लिए प्रोत्साहित करता है।


• पौधे की वृद्धि और गुणवत्ता में सुधार।


• इसे संभालना और लगाना आसान है।


•यह मिट्टी की जल धारण क्षमता में सुधार करता है।


• वर्मीकम्पोस्ट मिट्टी की उर्वरता को बेअसर करने में मदद करता है।


• यह खरपतवार के बीज, जहरीले तत्वों, रोगजनकों और ऐसे कारकों से मुक्त है।


• यह एंजाइम, मूल्यवान विटामिन और हार्मोन जैसे ऑक्सिन, जिबरेलिन और बहुत कुछ से भरपूर है।


भारत में वर्मीकम्पोस्ट व्यवसाय के लिए विपणन योजना:-

वर्मीकम्पोस्टिंग सीधे तौर पर एनपीओपी (नेशनल प्रोग्राम फॉर ऑर्गेनिक प्रोडक्शन) से जुड़ा है, जिसका उद्देश्य देश में जैविक कार्यक्रम को बढ़ावा देना है। 

यह जैविक रूप से उत्पादित फसलों की कीमत में वृद्धि के कारण छोटे और सीमांत कृषक समुदायों जीवन स्तर में वृद्धि करेगा ।


रासायनिक उर्वरकों के विकल्प के रूप में वर्मीकम्पोस्ट का उपयोग किया जाता है। ये घटनाक्रम वर्मीकम्पोस्टिंग के पक्ष में काम करते हैं। 

वर्मीकम्पोस्टिंग में किसी आयातित इनपुट की आवश्यकता नहीं होती है, उनके उर्वरक का उत्पादन किसानों को अन्य वस्तुओं विशेष रूप से रासायनिक कृषि इनपुट की कीमतों में परिवर्तन और उतार-चढ़ाव के प्रति कम संवेदनशील बनाता  



बिक्री लिए अन्य संभावित बाजार नीचे दिए गए हैं:-


• एंड-यूजर्स को सीधी बिक्री। इसमें मुख्य रूप से आस-पास के शहरों और नगर पालिकाओं में किसानों के समूह और उपखंड शामिल हैं;


• जैविक खाद के उत्पादकों और वितरकों को थोक बिक्री, जिन्हें इसके मुख्य घटकों में से एक के रूप में वर्मीकास्ट की आवश्यकता होती है 


•अंत में, पॉश गांवों और अन्य उच्च अंत आवासीय क्षेत्रों में रहने वाले अमीरों के बीच जैविक रूप से उगाए गए भोजन की लोकप्रियता के कारण शहरी क्षेत्रों में उच्च अंत बाजार।


वर्मीकम्पोस्ट व्यवसाय में लाभ:-

चूंकि वर्मीकम्पोस्ट उत्पादन की परिचालन लागत 2.0 / किग्रा से कम बैठती है। साथ ही खाद को 4.00 से 4.50/किलोग्राम में बेचना लाभदायक होता है। अन्य जैविक खाद जैसे नीम की खली, मूंगफली की खली आदि इसी कीमत पर बिकती है। 


वर्मीकम्पोस्ट उर्वरक के लिए बाजार अवसर:-

वर्मीकम्पोस्ट उर्वरक उत्पादन व्यवसाय में कई प्रकार की फसलों जैसे कृषि, बागवानी और सजावटी, सब्जियां आदि की बिक्री की अच्छी संभावना है।


उत्पादन प्रक्रिया में, यांत्रिक श्रेडर उपलब्ध नहीं होने पर वर्मीकम्पोस्टिंग के लिए अधिक श्रम की आवश्यकता होगी। वर्मीकम्पोस्टिंग के लिए छोटे पैमाने के वर्मीकम्पोस्टिंग सिस्टम के लिए कम से कम एक अंशकालिक कार्यकर्ता की आवश्यकता होती है। 

सहकारी के अधिकांश सदस्य कचरा बीनने वाले या छंटाई करने वाले होते हैं जो सहकारी समिति द्वारा प्रबंधित वर्मीकम्पोस्ट उत्पादन स्थल पर काम कर सकते हैं जबकि उनके घर के सदस्य अपने पिछवाड़े के वर्मीकम्पोस्ट की उत्पादन गतिविधियों में मदद कर सकते हैं।  


भारत में वर्मीकम्पोस्ट व्यवसाय योजना के बारे में अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न ? 


वर्मीकम्पोस्ट के गुण क्या हैं?

संतुलित वर्मीकम्पोस्ट में एनपीके वैल्यू, सल्फर, कैल्शियम, मैग्नीशियम और आयरन होता है। साथ ही इसमें मैंगनीज, जिंक, कॉपर, बोरोन और मोलिब्डेनम जैसे सूक्ष्म पोषक तत्व भी होते हैं। पोषक तत्वों की दृष्टि से वर्मीकम्पोस्ट गाय के गोबर की खाद से श्रेष्ठ है।


वर्मीकम्पोस्ट बनाने में कितना समय लगता है?

वर्मीकम्पोस्टिंग प्रक्रिया को पूरा करने में औसतन 3 से 6 महीने का समय लगता है। अधिक विशेष रूप से, 1 पाउंड कचरे को कंपोस्ट करने के लिए 24 घंटे में लगभग 2 पाउंड कीड़े लगते हैं।


क्या वर्मीकम्पोस्ट खाद है?

वर्मीकम्पोस्ट पोषक तत्वों से भरपूर जैविक खाद है।


क्या वर्मीकम्पोस्ट सभी पौधों के लिए अच्छा है?

वर्मीकम्पोस्ट ने सब्जी की खेती और किचन गार्डनिंग में क्रांति ला दी है। जैविक खेती में वर्मीकम्पोस्ट ने अन्य सभी उर्वरकों के बीच सबसे अच्छे परिणाम दिखाए हैं। प्राथमिक उर्वरक के रूप में वर्मीकम्पोस्ट का उपयोग करके सभी प्रकार के फलदार और पत्तेदार सब्जियों के पौधे उगाए जा सकते हैं।


वर्मीकम्पोस्ट को एक आदर्श उर्वरक क्यों माना जाता है?  

वर्मीकम्पोस्ट पौधों की बेहतर वृद्धि और उपज के लिए आदर्श जैविक खाद है क्योंकि कुछ कारणों से वर्मीकम्पोस्ट में पारंपरिक खाद की तुलना में अधिक पोषण मूल्य होता है। वर्मीकम्पोस्ट में माइक्रोबायोटा बैक्टीरिया और एक्टिनोमाइसेट्स की उपस्थिति इसे पौधों के विकास के लिए उपयुक्त बनाती है। 



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✍ DR. VK CHOUDHARY

                MOB.NO. 9587993416

 


मंगलवार, 6 दिसंबर 2022

Dried Flower Business Tips

सूखे फूलों का व्यापार :
Dried Flower Business :


जानें सूखे फूलों का व्यापार कैसे शुरू करें?  



इसमें यह व्यापार क्या है, 

लाभ, उत्पाद, निवेश, कमाई, सूखे फूल कहाँ बेचना है 
जैसी की जरूरी जानकारियाँ दी गई है।

दोस्तों ताजे और रंग-बिरंगे फूलों के व्यापार के बारे में तो आप सभी ने सुना ही होगा। लेकिन क्या आप जानते हैं, कि सूखे फूलों का भी व्यापार किया जाता है। 

आप सभी को पता होना चाहिए कि हमारा देश भारत सूखे फूलों के व्यापार में पूरी दुनिया में नंबर वन पर है। 

अमेरिका, यूरोप, थाईलैंड सिंगापुर चीन तुर्की न्यूजीलैंड, जापान जैसे देशों को सूखे फूलों का निर्यात किया जाता है। 



सूखे फूलों का व्यापार क्या है? 
What is Dried Flower Business ?
 


सुगंधित और खूबसूरत फूल भला किसे नहीं पसंद होते हैं, यहां तक की फूलों के व्यवहार में बहुत कमाई भी है। लेकीन सूखे फूलों का व्यापार भी बड़ा ही लाभकारी सौदा होता है। 


भारत से विदेशों में निर्यात किए जाने वाले फूलों में 70% शुष्क फूल होते हैं। शुष्क फूल तकनीक के अंतर्गत फूलों को मुरझा जाने से पहले इसमें खास तरह के इत्र मिलाए जाते हैं।  


जिसके पश्चात फूलों को एक पॉलिथीन में भर कर सूखने के लिए संरक्षित जगह रख दिया जाता है। कुछ खास मशीनों और तकनीकों के सहायता से इसे फिनिश्ड गुड्स में बदला जाता है। 




फूलों की पंखुड़ियों के अच्छी तरह सूख जाने के पश्चात इससे विभिन्न प्रकार के उत्पाद तैयार किए जाते हैं, जिन्हें सजावट कार्य में उपयोग किया जाता है। सूखे फूलों का व्यापार एक अच्छा रोजगार का साधन है। 



आज के महंगाई भरे युग में यह व्यापार लोगों को सरलता से मुनाफा पहुंचा सकता है। भारत सरकार इस छोटे से उद्योग में करोड़ों खर्च करती है, जिसके कारण आज के समय में हमारा देश दुनिया में सबसे बड़ा सूखे फूलों का निर्यातक देश है।




सूखे फूलों के व्यापार का लाभ: 
(Advantages of Dried Flower Business)


किसी भी कार्यक्रम या सजावट काम में सबसे ज्यादा उपयोग होने वाला वस्तु रंग-बिरंगे सुंदर फूल ही हैं। पूजा- पाठ से लेकर विवाह सम्मेलन इत्यादि कोई भी समारोह का कार्यक्रम क्यों ना हो वहां सजावट काम के लिए अधिकतर फूलों का ही उपयोग होता है। 


यहां तक की खुशियों से लेकर शोक अथवा किसी के निधन के समय भी फूलों का ही इस्तेमाल किया जाता है। इस बात से आप अंदाजा लगा सकते हैं, कि दुनिया में फूलों के व्यापार का कितना महत्व है।



क्योंकि देश विदेश में सूखे फूलों का बड़ा महत्व है, इसलिए इस क्षेत्र में व्यापार करना भी कम जोखिम और ज्यादा मुनाफा वाला होगा। बिना ज्यादा लागत के केवल वन टाइम इन्वेस्टमेंट के बाद भी आप सूखे फूलों के व्यापार में मोटी कमाई कर सकते हैं। 


शुष्क फूलों से बनने वाले उत्पाद दुनिया के हर किसी देश में बिकते हैं। सरल शब्दों में कहें, तो इसके बाजार की कोई सीमा नहीं है और आने वाले समय में इस व्यापार के अंतर्गत होने वाले निवेश और रिटर्ंस में बड़ा उछाल आ सकता है।


भारत में सूखे फूलों के व्यापार की इंडस्ट्री 20 से भी अधिक देशों में 500 से भी ज्यादा प्रजातियों के फूलों का निर्यात करती है। यह व्यवसाय शुरू करने के लिए ज्यादा लागत और तकनीकों की आवश्यकता भी नहीं होती है। 


भारत सूखे फूलों के निर्यात में दुनिया में पहले स्थान पर है, जिसके कारण यहां इस व्यवसाय के अंतर्गत बहुत अवसर मौजूद है। केवल भारत से दुनिया के अलग-अलग देशों में 100 करोड़ की लागत से भी ज्यादा मूल्य के साथ सूखे फूलों का निर्यात किया जाता है।


सूखे फूलों का उपयोग व बनने वाले उत्पाद:
(Products Made From Dried Flowers)


शुष्क फूलों के इस्तेमाल से प्राप्त उत्पाद के जरिए दीवारों को सजाने के लिए किया जाता है। इसके अलावा घर बैठकर ही प्राकृतिक दिखने वाले किताबों के कागज बनाकर उन्हें भेचा जा सकता है। 


सूखे फूलों से हाथ से बने कागज, ग्रीटिंग कार्ड्स, उपहार, किताबें, बक्से लैंपशेड, अतर (परफ्यूम), गुलदस्ते, फोटो फ्रेम, हस्तशिल्प, बुके, गुलदस्ते, मोमबत्ती स्टेंड, साबुन, जूट के बैग, दीवारों के लिए सौंदर्य चीजें बनाई जाती है।


किसी खास अवसर पर रिश्तेदारों और परिचितों को उपहार की तरह दिए जाने वाले ग्रीटिंग कार्ड और अन्य उपहार सामग्री भी फूलों से निर्मित की जाते हैं। 


पेन स्टैंड, वॉल पिक्चर, फोटो फ्रेम, मोमबत्ती स्टैंड, गुलदस्ता, वॉल हैंगिंग, सजावटी कैलेंडर इत्यादि जैसे सैकड़ों ऐसी चीजें हैं, जिन्हें सूखे फूलों की सहायता से बनाकर उन्हें बाजार में अच्छी कीमत पर बेचा जा सकता है।



सूखे फूलों के व्यापार में कितने का निवेश चाहिए? (Investment)


इस व्यापार के अवसर और मुनाफे के बारे में तो अब तक आप जान चुके होंगे। यदि आप भी सूखे फूलों का व्यापार करके लाभ कमाना चाहते हैं, तो इसके लिए बहुत ही सरल मार्ग है। 


यह व्यवसाय शुरू करने के लिए निश्चित मात्रा में जमीन की आवश्यकता होगी, जहां फूलों का बगीचा लगाया जा सके। इस व्यापार में लगभग 1.5 लाख तक न्यूनतम निवेश के जरिए आप आसानी से सूखे फूलों के व्यवसाय की शुरुआत कर सकते हैं।


सूखे फूलों के व्यापार में कितनी हो सकती है कमाई? (Profit)

इस बिजनेस में निवेश करने के बाद आपको प्रतिमाह 25 हजार से भी ज्यादा का मुनाफा सरलता से मिल सकता है। अगर बाजार में शुष्क फूलों के केवल एक पैकेट के मूल्य की बात करें, तो यह ₹300 से भी ज्यादा के दाम पर बेचे और खरीदे जाते है। 


एक बार में बड़ा निवेश करने के बाद धीरे-धीरे अपना व्यवसाय आगे बढ़ाते रहिए और अपने मुनाफे में बढ़ोतरी करिए। 


सूखे फूलों के व्यापार की तकनीक:
(Dried Flower Business Method)

फूलों की खेती (Farming Flower Plants)


सूखे फूलों का व्यापार करने के लिए सबसे पहले फूलों की खेती करना जरूरी होता है। एक पर्याप्त विस्तार में फैला हुआ बगीचा जहां पौधों को पर्याप्त मात्रा में सूर्य की किरणें और जल मिल सके ऐसा स्थान इसके लिए सर्वश्रेष्ठ होता है। 



इस व्यापार के लिए 300 से भी ज्यादा किस्म के फूलों की खेती की जाती हैं, जिनकी मांग बाजार में सबसे अधिक होती है। गुलाब, लैवंडर, सूखे कमल, कपास के फूल, चमेली इत्यादि बहुत सी फूलों की प्रजातियां है, जो मुख्य रूप से इस व्यवसाय के अंतर्गत उगाई जाती हैं।


किन फूलों का सबसे ज्यादा है उपयोग? 
(Best Flowers For This Business)


गुलाब, गुड़हल, कमल, सूरजमुखी, चमेली, सदाबहार, कुमुदिनी, कनेर, अमलतास, चंपा, लैवंडर, गेरबेरासी, आर्किड, इत्यादि जैसे कई फूलों की प्रजातियां सूखे फूलों के व्यापार में सबसे ज्यादा उपयोग की जाती है।



भारत में पिछले 40 वर्षों से सूखे फूलों का निर्यात विदेशों में किया जा रहा है। फूलों को सुखाकर उनमें परफ्यूम मिलाया जाता है और पॉलिथीन बैग्स में पैक कर दिया जाता है। ज्यादातर लोग सुगंधित फूलों को अपनी बाथरूम, अलमारियों और बेडरूम में इस्तेमाल करते हैं। 300 से अधिक फूलों की किस्मों को सुखाया जाता है। ब्रिटेन मुख्य रूप से सूखे फूलों का आयात हमारे देश से करता है। 


 Bachelor’s button, Cock’s comb, jasmine, rose petals, Bougainvillea flowers, neem leaves जैसे सूखे फूलों से शुष्क अतर (परफ्यूम) भी बनाया जाता है। 


Dried cotton skins, pine flowers, dry chilies, dry bottle gourd, grass, tree jasmine, everlasting flower, asparagus leaves, fern leaves, tree barks and twigs जैसे फूलो को विशेष रूप से सुखाया जाता है। 


सूखे गुलाब, सूखे कमल। कपास के फूल, लेवेंडर, डेज़ी, के मांग हमेशा ही रहती है।


फूलों को सुखाने की तकनीक :
(Drying Method)


पौधों को ओस की बूंदों से निकाल कर उसके सूखने के बाद ही काटना चाहिए। पौधों को काटकर उन्हें एक गुच्छे से बांधकर संरक्षित कर देना चाहिए और पूरी तरह से सूख जाने के बाद धूप की किरणों से दूसरी जगह रख देना चाहिए।


फूलों को सुखाने की कुछ तकनीक अथवा विधियों में शामिल हैं- प्रेस ड्राइंग, माइक्रोवेव ड्राइंग, फ्रीज ड्राइंग, ग्लीसरीन ड्राइंग, एयर ड्राइंग, एम्बेडेड ड्राइंग, सन ड्राइंग, हॉट एयर ओवन ड्राइंग। 



जिनकी सहायता से सरलता से फूलों को सुखाया जाता है। फूलों को सुखाने के बाद जिन पुष्पों का रंग स्थाई नहीं रह पाता, उन्हें प्राकृतिक रंग से डाई किया जाता है। 


फूलों का व्यापार करने के लिए फूलों की रंगाई करना बहुत आवश्यक है। इससे उन्हें आकर्षक रंग मिलते हैं। फूल रखने के लिए अच्छे किस्म के रंग इस्तेमाल किए जाते हैं। 20 लीटर पानी में 4 किलोग्राम रंगाई का पाउडर मिलाया जाता है।


इस मिश्रण को 800 लीटर गर्म पानी में अच्छी तरह मिलाया जाता है। 2 लीटर एसिटिक एसिड मिलाया जाता है। नरम फूल प्राप्त करने के लिए इसमें मैग्निशियम क्लोराइड मिलाया जाता है, जिससे फूलों की गुणवत्ता बढ़ जाती है। 


रंग भी चमकदार बन जाता है। इस मिश्रण में फूलों को अच्छी तरह डुबो दिया जाता है जिससे उनका हर हिस्सा रंग जाए।


सूखे फूलों को कहां बेचना है?

(Where To Sell Dried Flowers ?)


यदि आप अपने व्यवसाय के बारे में ज्यादा से ज्यादा लोगों को बताना चाहते हैं, तो इसके लिए आपको अपना एक वेबसाइट बनाना चाहिए, जिसके जरिए ज्यादा से ज्यादा लोगों से जुड़ा जा सके। 


इसके अतिरिक्त सोशल मीडिया का उपयोग करके आप बहुत कम समय के अंदर ही सूखे फूलों के व्यापार से कमाई कर सकते हैं। 


प्रत्यक्ष ग्राहकों से जुड़ने के अलावा Flipkart और amazon.com जैसे कई माध्यमों के जरिए आसानी से सूखे फूलों को बेचा जा सकता है। इसके अतिरिक्त एक्सपोर्ट हाउस भी सूखे फूलों को बेचने के लिए अन्य महत्वपूर्ण विकल्प है। 







सोमवार, 5 दिसंबर 2022

Israel Agriculture Technology

Israeli farming techniques:

-How is farming done in Israel?

-Information related to Israeli farming 

Techniques:

Everyone in the whole world can get full stomach food and keeping the grains grown in the fields safe is a big problem. Every year in India itself, due to lack of proper maintenance, grains worth billions of rupees get wasted. Sometimes the crop dries up due to drought, and sometimes floods and inundation destroy the crop. 

Due to the ever-

increasing population, the demand for food is also increasing. In such a situation, it becomes even more important to protect the fields and crops. Along with India, other countries are also struggling with this problem. Israel, the country of young farmers, not only solved many problems related to agriculture, but also presented an example of making agriculture a profitable deal in front of the world. 60% of Israel's land area is desert, and there is a lot of water shortage in this country.  


Despite this, the country of Israel remains self-sufficient in terms of its people and food security. Apart from being self-sufficient, this country also exports fruits and vegetables in large quantities. The biggest contribution to Israel's success in the agriculture sector is the farmers, agricultural scientists, education policy, government and private companies. Today in this article you are going to tell about how farming is done in Israel and about the techniques of Israeli farming.

How to do farming in Israel(Israel Farming): 

For farming in Israel, advanced techniques are adopted from crop sowing to irrigation and yield. The advanced techniques used for cultivation are as follows:-

-Use of improved varieties of seeds.
-Irrigation method.
-Special attention is paid to the packaging, storage, marketing of the crop.
-Use of organic manure seeds.
Finding soil and crop 
-deficiencies and meeting the requirements.

Israel Agriculture Technology

Drip Irrigation:

This type of modern technology has not yet been discovered. But this practice is already in operation in the country of Israel. This method was started by the Water Engineering Simcha Blass of the country of Israel. Simcha discovers how to increase crop production efficiency by slowing and balancing drip In this method, such a tube was made, so that water falls in less quantity and proves to be more effective. Working on this method, he established the related farm. Drip irrigation used by Israel is now being used in other countries as well.



creation of granary(Food Fund Creation)

Israel has prepared such a grain fund in its country, in which farmers can keep their crops fresh and safe for a long time even after spending less. The bag has been created by Professor Shlomo Navarro, International Food Technology Consultant. This bag can be safe in both water and air. This bag is being widely used all over Africa and many rich countries. Pakistan has also tied up with Israel for this bag.After crop production, almost half of the crop gets spoiled due to fungus and insects. In such a situation, these bags are proving to be very effective in terms of security. Whether it is dampness or scorching heat, the crop kept in this bag does not have any effect.




Biological Pest Control:

Israel's Bio-B company has developed an insecticide that attacks enemy insects and protects friendly insects. Insects stay away by spraying this medicine, but there is no harm to flies and beetles. The company uses bumblebees for pollination. It does not affect the pollination process. According to the company's manager Dr. Shimon, his company is a major company in the case of such insecticides.This drug is being sprayed on 60 percent of the strawberry crop grown in the country of California since 1990. Its use has seen 75% increase in yield. Bio Bee's medicine and beeswax are used in about 32 countries of the world. It also includes countries like Japan and Chile.


Software Help Farmers:

One such software has been developed by Agriculture Knowledge Online (AKOL). In which all the problems of the farmers will be solved. Through this software developed by IBM, a farmer sitting anywhere in the world can take advice related to agriculture from Israel experts. Through this software, farmers will be able to sell their crops as well as hold group discussions.The company's CEO Ron Shani says that this software will help farmers in every way from sowing their crops to harvesting and selling crops, and will also give modern knowledge to the farmers.



Air Water Droplets:

To maintain the availability of water, Israel has manufactured plastic trays, through which dew drops can be collected even from the air. This tray made of jagged shape is prepared by recycling plastic. It is planted close to trees with UV filters and limestone. After which this tray absorbs the dew drops at night, and those drops are carried to the roots of the trees through the tray.The tray's creator, Avraham Tamir, says that the tray also protects plants from harsh sunlight. This method fulfills 50% of the water requirement.

Organic Farming Promotion Scheme:

Crop Protection Method

The technical team of the Hebrew University, together with the large crop protection company Mechtesheim Egan, discovered an insecticide for commercialization that protects crops from harmful insects, and does not allow beneficial insects to be harmed. The market of insecticides is a vast market of about Rs.1500 crores. Most of the pesticides are mixed in the soil, but Israel has prepared such a pesticide,Which kills harmful insects very slowly, which does not affect the fertility of the soil. Give as much dose to the plants as they need.



Rearing in the Desert:

Overfishing is a concern for food security, especially at a time when fish is the main source of protein for most people. Israel was also going through the problem of fish, but now this country has found a solution to the fish problem, and now fish is available everywhere in Israel. The advanced technology of GFA (Grow Fish Anywhere) has made this possible. Israel's zero discharge technology has solved the problem of electricity and weather in fish farming.In this technique, such a tank is prepared, on which the effect of such a problem is not seen. This technique is being used in large numbers in America.


-Agriculture information in the country of Israel (Israel Country Agriculture Information)

-Irrigation is available only in 20% of the total land of the country of Israel. Despite this, this country is included in the list of 10 major crop producing countries of the world.

-In terms of technology, the country of Israel leaves behind China and America and uses very developed and correct agricultural machinery.

-Only agriculture is researched in 5 universities of the country of Israel. A large number of students from abroad also come to take training in the Agricultural Research Institutes of Israel.







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